Fri , Nov 07 2025
विटामिन-डी का सबसे बेहतरीन सोर्स सूरज की रोशनी को माना जाता है। फिर भी, भारत जैसे देश में जहां इतनी धूप होती है, फिर भी लोगों में विटामिन-डी की कमी (Vitamin-D Deficiency in Women) पाई जाती है। यह कमी महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है, क्योंकि वे टैनिंग से बचने या लाइफस्टाइल के कारण कम धूप में जाना पसंद करती हैं।
लेकिन विटामिन-डी की कमी एक गंभीर समस्या है, जिसे अगर समय पर दूर नहीं किया गया, तो सेहत को खतरनाक नुकसान हो सकते हैं। अक्सर इसकी कमी के लक्षणों को हल्के में ले लिया जाता है या अन्य समस्याओं का संकेत (Vitamin-D Deficiency Symptoms in Women) मान लिया जाता है। लेकिन विटामिन-डी की कमी के लक्षणों को पहचानकर इस परेशानी को बढ़ने से पहले ही रोका जा सकता है।
Symptoms vitamin D
अगर आप पूरी नींद लेने के बाद भी हमेशा थका हुआ और सुस्त महसूस करती हैं, तो यह विटामिन-डी की कमी का एक अहम संकेत हो सकता है। यह थकान इतनी ज्यादा होती है कि रोज के काम करना भी मुश्किल हो जाता है।
विटामिन-डी कैल्शियम के अब्जॉर्प्शन में मदद करता है। इसकी कमी होने पर हड्डियां कमजोर और नरम हो सकती हैं, जिससे हड्डियों और मांसपेशियों में सामान्य या तेज दर्द होता है। पीठ दर्द, जोड़ों में दर्द और सामान्य शरीर दर्द इसके आम लक्षण हैं। कई बार इसे आर्थराइटिस या फाइब्रोमायल्जिया समझ लिया जाता है।
विटामिन-डी हमारी इम्युनिटी को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी से शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है, जिसके कारण महिलाओं को सर्दी-जुकाम, फ्लू, और अन्य इन्फेक्शन बार-बार होने लगते हैं।
क्या आप बिना किसी खास वजह के उदास, चिड़चिड़ी या स्ट्रेस महसूस करती हैं? विटामिन-डी की कमी का सीधा कनेक्शन ब्रेन फंक्शन से है, खासकर मूड को कंट्रोल करने वाले हार्मोन से। इसलिए विटामिन-डी की कमी के कारण भी डिप्रेशन जैसी भावना महसूस हो सकती है।
बालों का झड़ना कई कारणों से हो सकता है, लेकिन स्ट्रेस और पोषण की कमी के अलावा विटामिन-डी की कमी भी इसका एक अहम कारण है। विटामिन-डी बालों के फॉलिकल्स के लिए जरूरी है। इसकी कमी से बालों का विकास रुक सकता है और बाल ज्यादा झड़ने लगते हैं।
अगर आपके शरीर पर किसी कट या घाव को भरने में सामान्य से ज्यादा समय लग रहा है, तो यह विटामिन-डी का स्तर कम होने का संकेत हो सकता है। विटामिन-डी त्वचा की नए सेल्स बनाने और घाव भरने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाता है।
लंबे समय तक विटामिन-डी की कमी के कारण हड्डियों की डेंसिटी कम होने लगती है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं। इस स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं। इससे हल्की-सी चोट पर भी फ्रैक्चर का खतरा बहुत बढ़ जाता है, खासकर रीढ़ की हड्डी, कूल्हे और कलाई में।
बिना किसी कारण मांसपेशियों में खिंचाव या ऐंठन महसूस होना भी विटामिन-डी की कमी का एक लक्षण हो सकता है।
कैसे मिलता है: जब आपकी त्वचा पर सूरज की अल्ट्रावायलेट-B (UVB) किरणें पड़ती हैं, तो शरीर में विटामिन D₃ बनता है।
ध्यान देने योग्य बातें:
◾सप्ताह में कुछ बार 10–30 मिनट तक दोपहर की धूप में रहना पर्याप्त हो सकता है।
◾त्वचा का रंग, मौसम, स्थान (latitude), उम्र और सनस्क्रीन का उपयोग — ये सभी विटामिन D बनने की मात्रा को प्रभावित करते हैं
◾अंडे की जर्दी
◾फोर्टिफाइड दूध और प्लांट-बेस्ड दूध (सोया, बादाम, ओट मिल्क)
◾फोर्टिफाइड अनाज (cereals)
◾फोर्टिफाइड संतरे का जूस
◾मार्जरीन या मक्खन के विकल्प
◾विटामिन D₃ (Cholecalciferol): शरीर में स्तर बढ़ाने में सबसे प्रभावी।
◾विटामिन D₂ (Ergocalciferol): पौधों से प्राप्त, पर थोड़ा कम प्रभावी।
◾धूप या भोजन से पर्याप्त विटामिन D न मिलने पर डॉक्टर की सलाह से लिया जा सकता है।
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